उडान
उंची और ऊंची
उडते उडते
इतना उंचे पहुंच गयी कि
नीचे धरती एक परिंदे जैसी
नजर आने लगी!!
इन ऊंचाईयो पर पहुंचकर
सोचती हूं
क्या कभी वापस अपनी धरती,
अपने वतन लौट पाऊंगी??
Thursday, September 16, 2010
Thursday, September 9, 2010
Wednesday, September 1, 2010
क्या लिखूं? कैसे लिखूं?
आज नेट सर्फ़िंग के समय हिंदी मे लिखा देखकर मुझे भी ब्लाग बनाने की इच्छा होगई और मैने बना डाला। कुछ कविता और आपबीती डायरी में लिखने का शौक है। हिंदी में यहां लिखना बहुत मुश्किल लग रहा है. कट पेस्ट करके ये लाईने लिख रही हुं. लिखने के कुछ साधन ढूंढ रही हुं.
Trisha Bahal
Trisha Bahal
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