सूरज की पहली किरण ने
किया उजियारा
रात का अंधियारा हुआ
नौ दो ग्यारह
भोर होते ही
चिडियों ने गीत गाये
मुझे लगा जैसे कि
प्रीतम तुम लौट आये
जीवन
Sunday, October 24, 2010
Thursday, September 16, 2010
परिंदे की उडान
उडान
उंची और ऊंची
उडते उडते
इतना उंचे पहुंच गयी कि
नीचे धरती एक परिंदे जैसी
नजर आने लगी!!
इन ऊंचाईयो पर पहुंचकर
सोचती हूं
क्या कभी वापस अपनी धरती,
अपने वतन लौट पाऊंगी??
उंची और ऊंची
उडते उडते
इतना उंचे पहुंच गयी कि
नीचे धरती एक परिंदे जैसी
नजर आने लगी!!
इन ऊंचाईयो पर पहुंचकर
सोचती हूं
क्या कभी वापस अपनी धरती,
अपने वतन लौट पाऊंगी??
Thursday, September 9, 2010
Wednesday, September 1, 2010
क्या लिखूं? कैसे लिखूं?
आज नेट सर्फ़िंग के समय हिंदी मे लिखा देखकर मुझे भी ब्लाग बनाने की इच्छा होगई और मैने बना डाला। कुछ कविता और आपबीती डायरी में लिखने का शौक है। हिंदी में यहां लिखना बहुत मुश्किल लग रहा है. कट पेस्ट करके ये लाईने लिख रही हुं. लिखने के कुछ साधन ढूंढ रही हुं.
Trisha Bahal
Trisha Bahal
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